Wednesday, April 20, 2011

कितने मौसम बीते


कितने मौसम बीते,
कितनी यादें समेट ले गए,
मैं भीगता रहा बरसातों में, तुम सिमटे रहे ठंडी रातों में,
गर्मी हमारे प्यार की लेकिन बनी रही....
पलट कर हाथ जो थमा मेरे यार ने फिज़ा बदल गयी..
इक बर्फ की चादर थी झट से पिघल गयी...

1 comment:

  1. i think for this still more lovely lines can be added...lovely ones... kitne mausam beete

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