एक तुम्हें पाने की ज़िद थी,
उम्मीदों में तुम ही थी बस,
बाकी तो सब पा ही गया हूँ,
शौक नहीं था पर,
वो भी छोड़ दी मैंने,
उम्मीदों में तुम ही थी बस,
बाकी तो सब पा ही गया हूँ,
शौक नहीं था पर,
तुम्हारी खातिर,
राग-रंग, शानोशौकत पर छा भी गया हूँ,
राग-रंग, शानोशौकत पर छा भी गया हूँ,
हांसिल है मुझे,
हर आँख को चमकाता,
नज़रों को भाता ,
गर्व से उठाता ,
एक समंदर एक मंज़र,
जबरन बांधी आशायें,
लेकिन मैं बेबस,
तुम नहीं,
तुमको पाने की जिद भी नहीं,
सिर्फ सन्नाटे,
यादों की लहरों का निरंतर बहता शोर,
खिड़की से ताकते रहकर,
टूटते सितारों से मांगने की आदत छोड़ दी मैंने,
बस एक तुझे पाने की ज़िद थी,
वो भी छोड़ दी मैंने......
उन ख्वाबों की,
उन गीतों की,
उन पुराने खतों में उलझे सुलझे,
कहे अनकहे शब्दों की, सवालों की, जवाबों की,
हर दिशा मोड़ दी मैंने.
बस एक तुम्हें पाने की ज़िद थी,
हर दिशा मोड़ दी मैंने.
बस एक तुम्हें पाने की ज़िद थी,
वो भी छोड़ दी मैंने......
© 2010 कापीराईट सेमन्त हरीश
and for this i am speechless..... ek ek line and word is countable uncle.. ek dum dil choo jaane waali hai....... kya kya jeed hai hau usse paane ki waah waah padthe hi all the imaginations flows in front.......what a imaginative mind uncle..........
ReplyDelete@Sangeetha Thanks for the thoughtful comments...
ReplyDeleteAwesome......Zid chod di maine.....
ReplyDelete>> अति सुन्दर <<
ReplyDeleteI m lovin it too !!
ReplyDeletei love dis
ReplyDelete@Sandhya Patel अति शुक्रिया...
ReplyDelete@Bharti Tiwari Sharma Thanks...
ReplyDeleteAnonymous....
ReplyDeleteशायद तेरी भी कुछ मजबूरी होगी,
वरना तुमने ये गुमनामी की ख्वाहिश ना ओढी होती...
मेरा सादर धन्यवाद...तुमको....
meri mazboori samazhne ka shukriya dost..
ReplyDeleteGumnaam hai koi
kisko khabar,kon hai woh,
anjaan hai koi.......
hamesha ki tarah....ye lines behad khoobsurat....or main nishabd..
ReplyDeletegreat Semant sir..