Tuesday, August 16, 2011

India has never lost to Invaders … क्रांति सिर्फ एक विचार नहीं .... It needs implementation ....


They'd promised their families they'd come back soon.
They more than kept their word.
Went as mere men. Came back as heroes. In coffins.
"THEY GAVE THEIR TODAY FOR OUR TOMORROW"
Wake Up.... Wake Up.... Get involved for The Nation....
वो क्यों जाता है घर छोड़ कर...

वो क्यों जाता है सारे रिश्ते तोड़ कर...
वो भी त्यौहार मनाता था..
वो भी बिस्तर पर सोता था ...
माँ के आँचल में रोता था ...
बहना के सपने बोता था ….
बाबा के कंधे ढोता था...
जब तुम आराम से सोते हो..
वो खुले आसमान से बातें करता है
चट्टानों पर सोता है
पर्वत की छाती चीरता है,
ताकि नींद तुम्हें आती रहे ,
अब आज तुम क्यों ऐसा कुछ नहीं करते,
आज क्यों स्वंय से ही एक बार के लिए नहीं लड़ते
वो जिस धरती के लिए लहू दे रहा है
माँ पिता पत्नी परिवार छोड़ सुदूर पर्वतों कठिन मैदानों में खड़ा है,
उसे मन में बसालो
अपने अपने मन में एक एक गांधी - सुभाष – भगत सिंह जगा लो,
हाथ उठालो....
भारत बचालो...
India has never lost to Invaders …
घर की दीमक ही घर की दीवार गिराती है,
खेत खाती है …..

Monday, August 8, 2011

मौन वेदना .......


सोचो कि गर हम कभी मिले 
तो अपनी नज़र में छुपी किताब के पन्ने कैसे पढेंगे 
ह्रदय में खींचे इन्द्रधनुष कैसे रोकेंगे  
यूं कैसे होगा कि आस्मां झुक कर फूल से पूछेगा 
"आज तुम कैसे हो ..."
यूं कैसे होगा कि फूल आस्मां से अपनी कहानी कहेगा 
फिर भी उस रात "ओस नहीं झरेगी..."

Sunday, August 7, 2011

मैं मीरां.....


मैं मीरां.....
संसार की मर्यादा के सच के बीच जीती,
अपने कृष्ण की प्रीत में ज़हर पीती,
एक अभिलाषा लिए कि एक दिन,
अपनी प्रीत में लीन हो जाऊंगी सदा के लिए
अमर बंधन के पाश में...
अपने कृष्ण को साथ लिए...
अपनी प्रीत के साथ...

Friday, August 5, 2011

उसका बचपना नहीं जाता.....


उसका बचपना नहीं जाता
उस से रहा ही नहीं जाता
वो जिद से उलझी - सुलझी रहती है
वो बिना बात मचलती है
मेरे उसके इस रिश्ते के लिए
उसका यूंही बच्चा  बना रहना ही ठीक है शायद
क्योंकि बड़ों के बीच रिश्ते अकसर, बहुत छोटे होते हैं..

Tuesday, August 2, 2011

ताकि वो बिसरे नहीं...


उसके सिर से  पैर तक लहराती नागिन
पर एक भरोसा कर रहा हूँ...
वो डंस के मुस्कुरायी और मैंने मरने से पहले एक शाम मांग ली उसकी छाँव में,
उसकी आंखों में एक झील नीली सी है ,
अपने आपको डूबते देखा मैंने,
जमे आंसुओं की बर्फ पिघले मुझमें कि उससे पहले ही,
फिर बंद कर ली अपनी आखें,
यह सोचकर कि, कैद कर लूं उसे  अपनी आँखों से दिल में,
ताकि वो बिसरे नहीं....
बिछुडे नहीं ....
जीवन भर के लिये.............
स्वप्न भी वो..
सुबह भी वो ही...