उसके सिर से पैर तक लहराती नागिन
पर एक भरोसा कर रहा हूँ...
वो डंस के मुस्कुरायी और मैंने मरने से पहले एक शाम मांग ली उसकी छाँव में,
उसकी आंखों में एक झील नीली सी है ,
अपने आपको डूबते देखा मैंने,
जमे आंसुओं की बर्फ पिघले मुझमें कि उससे पहले ही,
फिर बंद कर ली अपनी आखें,
यह सोचकर कि, कैद कर लूं उसे अपनी आँखों से दिल में,
ताकि वो बिसरे नहीं....
बिछुडे नहीं ....
जीवन भर के लिये.............
स्वप्न भी वो..
सुबह भी वो ही...
kitna khoobsoorat likha hai aapne,band kr li apni aankhe.....taki wo bisre nhi ,bichde nhi,great
ReplyDeleteHmmm....Subah bhi......
ReplyDeleteभारती जी धन्यवाद...
ReplyDeleteअनजान प्रशंसक... तुम्हारा इस तरह मेरे साथ चलना अच्छा लगा..
ReplyDeleteI am lovin it...