Monday, August 8, 2011

मौन वेदना .......


सोचो कि गर हम कभी मिले 
तो अपनी नज़र में छुपी किताब के पन्ने कैसे पढेंगे 
ह्रदय में खींचे इन्द्रधनुष कैसे रोकेंगे  
यूं कैसे होगा कि आस्मां झुक कर फूल से पूछेगा 
"आज तुम कैसे हो ..."
यूं कैसे होगा कि फूल आस्मां से अपनी कहानी कहेगा 
फिर भी उस रात "ओस नहीं झरेगी..."

5 comments:

  1. Hr kisi ko nzro ki kitab pdni nhi aati

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  2. कितना सुन्दर और कोमल .जैसे कोई इन्द्रधनुष सच में उतर आया हो आसमान और फूल के मध्य .

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