बिम्ब-प्रतिबिम्ब
Wednesday, September 21, 2011
ख्वाहिश...
ख्वाहिश...कि मैं यूं जलूँ
यूं जलूँ कि बादल बनूँ
हवा मुझे तेरे शहर तक ला बरसाए
बूँद बन भिगोऊँ मैं तुझे
ऐसा मौसम एक बार फिर आये इन झुलसे मौसमों के बाद ..
Newer Posts
Older Posts
Home
Subscribe to:
Posts (Atom)