Wednesday, October 26, 2011

ये अमावस-पूनम के अहसास तो संजोग ने बोये हैं...

चाँद हुआ ही कब  रोशनी से परे...
ये अमावस-पूनम के अहसास तो  संजोग ने बोये हैं...
तुम जब भी इधर पूनम की चांदनी में नहाते हो...
उस पार कोई अमावस में तारे गिनता है...

2 comments:

  1. Agar Amaavas na ho to Poonam ka ehsaas kahan ?

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  2. बेहद ख़ूबसूरत...!
    हर शब्द अर्थपूर्ण और पूरक....
    एक तरफ गर चाँदनी तो दूसरी ओर अमावस के तारे भी हैं उजाला करने को...!

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