चाँद हुआ ही कब रोशनी से परे...
ये अमावस-पूनम के अहसास तो संजोग ने बोये हैं...
तुम जब भी इधर पूनम की चांदनी में नहाते हो...
उस पार कोई अमावस में तारे गिनता है...
ये अमावस-पूनम के अहसास तो संजोग ने बोये हैं...
तुम जब भी इधर पूनम की चांदनी में नहाते हो...
उस पार कोई अमावस में तारे गिनता है...
Agar Amaavas na ho to Poonam ka ehsaas kahan ?
ReplyDeleteबेहद ख़ूबसूरत...!
ReplyDeleteहर शब्द अर्थपूर्ण और पूरक....
एक तरफ गर चाँदनी तो दूसरी ओर अमावस के तारे भी हैं उजाला करने को...!