बिम्ब-प्रतिबिम्ब
Friday, November 4, 2011
मेरे अकेलेपन के साथी 'अश्रु '......
मेरे अकेलेपन के साथी 'अश्रु
'
ये भी बहते अकेले,
मेरी ही तरहा अकेले,
शाम के ढलने के बाद,
अंधेरों में,
खोजते अपनी परछाई,
भीगे अश्रु,
भिगोते मेरे स्वप्न,
अपना आँचल ......
Newer Posts
Older Posts
Home
Subscribe to:
Posts (Atom)