Friday, December 2, 2011

प्यार में शर्त-ए-वफ़ा ......


प्यार में शर्त-ए-वफ़ा, कभी सही कभी गलत ना जाने क्यों !
ये रिश्ता बड़ा अजीब, कभी सही कभी गलत ना जाने क्यों !

हमने आवाज़ उठाई हक की, जब भी कभी
लोगों को लगा, कभी सही कभी गलत ना जाने क्यों !

लौट आने को कहा, जाने वालों को बार बार,  
उत्तर जो मिला, कभी सही कभी गलत ना जाने क्यों !

वक्त पड़े लोग बदल गए जो भी अपने दीखते थे,
विश्वास का नतीजा, कभी सही कभी गलत ना जाने क्यों !

माज़ी को अपने मुड़ कर देखा जो कभी
अपना ही निज़ाम लगा, कभी सही कभी गलत ना जाने क्यों !
© 2010 Capt. Semant

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