चाँद हुआ ही कब रोशनी से परे...
ये अमावस-पूनम के अहसास तो संजोग ने बोये हैं...
तुम जब भी इधर पूनम की चांदनी में नहाते हो...
उस पार कोई अमावस में तारे गिनता है...
ये अमावस-पूनम के अहसास तो संजोग ने बोये हैं...
तुम जब भी इधर पूनम की चांदनी में नहाते हो...
उस पार कोई अमावस में तारे गिनता है...